श्रीयुत पं. कमलापति त्रिपाठी
श्रीयुत पं. कमलापति त्रिपाठी – काशी राजनीति के पुरोधा महान विचारक, राजनेता, पत्रकार, लेखक पं.
कमलापति त्रिपाठी का जन्म सन् 1905 में हुआ। 15 वर्ष की अवस्था से ही कांग्रेस पार्टी से जुड़े 1925-26 में आपकी पुस्तक ‘मौर्यकालीन भारत’ छपी। इसी वर्ष आपको उ.प्र. कांग्रेस का संयुक्त मंत्री बनाया गया। सन् 1935 में कांग्रेस समाजवादी दल के संस्थापक सदस्य, 1937 में संयुक्त प्रांत विधान सभा के सदस्य हुए। 1940-1945 के बीच कई बार जेल जाना पड़ा। इसी समय के दौरान पत्र और पत्रकार बापू और मानवता, बापू और भारत तथा बंदी का चेतना जैसी पुस्तकों की रचना की। 1945 के पश्चात् जेल से छूटने पर ‘संसार’ पत्रिका का सम्पादन किया, 1947 में आपको उ0प्र0 से संविधान सभा #c n p ravi के 54 सदस्यों के समूह में सम्मिलित होने का गौरव प्राप्त हुआ।
1952 से 1969 के चुनावों में आप चंदौली से विधानसभा के सदस्य तथा विभिन्न विभागों में मंत्री के रूप में प्रदेश के सर्वतोन्मुखी विकास में स्मरणीय भूमिका निभाई। केन्द्र सरकार में रेल मंत्री जहाजरानी और परिवहन मंत्री, सिंचाई मंत्री के रूप में अपना अप्रतिम योगदान दिया। 1978 में राज्यसभा में विरोधी दल के नेता के रूप में लो
कतांत्रिक मर्यादाओं का पालन किया। पं. कमलापति त्रिपाठी लोकतंत्र की परिभाषा को चरितार्थ करने वाले राजनेता विकास पुरुष व आवाम के हमदर्द थे। 1990 में इनका देहावसान होना, सम्पूर्ण लोकतंत्र के लिए भारी क्षति है।
कमलापति त्रिपाठी का जन्म सन् 1905 में हुआ। 15 वर्ष की अवस्था से ही कांग्रेस पार्टी से जुड़े 1925-26 में आपकी पुस्तक ‘मौर्यकालीन भारत’ छपी। इसी वर्ष आपको उ.प्र. कांग्रेस का संयुक्त मंत्री बनाया गया। सन् 1935 में कांग्रेस समाजवादी दल के संस्थापक सदस्य, 1937 में संयुक्त प्रांत विधान सभा के सदस्य हुए। 1940-1945 के बीच कई बार जेल जाना पड़ा। इसी समय के दौरान पत्र और पत्रकार बापू और मानवता, बापू और भारत तथा बंदी का चेतना जैसी पुस्तकों की रचना की। 1945 के पश्चात् जेल से छूटने पर ‘संसार’ पत्रिका का सम्पादन किया, 1947 में आपको उ0प्र0 से संविधान सभा #c n p ravi के 54 सदस्यों के समूह में सम्मिलित होने का गौरव प्राप्त हुआ।
1952 से 1969 के चुनावों में आप चंदौली से विधानसभा के सदस्य तथा विभिन्न विभागों में मंत्री के रूप में प्रदेश के सर्वतोन्मुखी विकास में स्मरणीय भूमिका निभाई। केन्द्र सरकार में रेल मंत्री जहाजरानी और परिवहन मंत्री, सिंचाई मंत्री के रूप में अपना अप्रतिम योगदान दिया। 1978 में राज्यसभा में विरोधी दल के नेता के रूप में लो
कतांत्रिक मर्यादाओं का पालन किया। पं. कमलापति त्रिपाठी लोकतंत्र की परिभाषा को चरितार्थ करने वाले राजनेता विकास पुरुष व आवाम के हमदर्द थे। 1990 में इनका देहावसान होना, सम्पूर्ण लोकतंत्र के लिए भारी क्षति है।