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    Viral Sach : फिरोज घांडी (Ghandy)

    अक्सर फेसबुक पर और अन्य सोशल मीडिया में एक आरोप लगता रहा है कि #राजीव_संजय गाँधी के पिता स्व. फ़िरोज़ गाँधी हिन्दू नहीं मुस्लिम थे जिनका नाम फ़िरोज़ खान था..( वैसे मुझे इससे कोई फर्क नही पड़ता पर फिर भी सच सामने आना चाहिए) आइये आप को आज इस "गाँधी" उपनाम का भी सच बताता हु.#फिरोज घांडी (Ghandy) एक पारसी परिवार से थे.पारसियों के नाम अक्सर मुस्लिम नामों से मिलते जुलते होते हैं ..जैसे #जमशेद जी, #नौशेरवान जी, #जहाँगीर जी (ये तीनों नाम महान टाटा परिवार की तीन विभूतियों के नाम है-जो पारसी हैं) इसी तरह बेजान #दारूवाला हो #जहाँगीर भाभा आदि कई नाम आपके समक्ष उपस्थित हैं.
    फ़िरोज़ -#महात्मा गाँधी के अनुयायी थे और उन्हें पिता तुल्य मानते थे ...

    आज अगर लोगों के सामने फ़िरोज़ गांधी का ज़िक्र किया जाए तो ज़्यादातर लोगों के मुंह से यही निकलेगा- 'फ़िरोज़ गाँधी कौन?' बहुत कम लोग फ़िर इस बात को याद कर पाएंगे कि फ़िरोज़ गांधी न सिर्फ़ जवाहरलाल नेहरू के दामाद, इंदिरा गांधी के पति और राजीव और संजय गाँधी के पिता थे.

    फ़िरोज़ - द फ़ॉरगॉटेन गाँधी के लेखक बर्टिल फ़ाल्क, जो इस समय दक्षिणी स्वीडन के एक गाँव में रह रहे हैं, बताते हैं, "जब मैंने 1977 में इंदिरा गांधी का इंटरव्यू किया तो मैंने देखा उनके दो पुत्र और एक पौत्र और पौत्री थे. मैंने अपने आप से पूछा, 'इनका पति और इनके बच्चों का बाप कहाँ हैं?"

    जब मैंने लोगों से ये सवाल किया, तो उन्होंने मुझे बताया कि उनका नाम फ़िरोज़ था, और उनकी कोई ख़ास भूमिका नहीं थी। लेकिन जब मैंने और खोज की जो मुझे पता चला कि वो न सिर्फ़ भारतीय संसद के एक अहम सदस्य थे, बल्कि उन्होंने भ्रष्टाचार को जड़ से ख़त्म करने का बीड़ा उठाया था।

    मेरे विचार से उनको बहुत अनुचित तरीके से इतिहास के हाशिए में ढ़केल दिया गया था। इस जीवनी के लिखने का एक कारण और था कि कोई दूसरा ऐसा नहीं कर रहा था।

    फ़िरोज़ गांधी पर रेहान फ़ज़ल की विवेचना

    दुनिया में ऐसा कौन सा शख़्स होगा जिसका ससुर दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र का पहला प्रधानमंत्री हो और बाद में उसकी पत्नी और उसका पुत्र भी इस देश का प्रधानमंत्री बना हो.

    नेहरू परिवार पर नज़दीकी नज़र रखने वाले वरिष्ठ पत्रकार रशीद किदवई बताते हैं, "इंदिरा गाँधी के प्रधानमंत्री बनने से पहले 1960 में फ़िरोज का निधन हो गया और वो एक तरह से गुमनामी में चले गए. लोकतंत्र में ऐसे बहुत कम शख़्स होंगे जो खुद एक सांसद हों, जिनके ससुर देश के प्रधानमंत्री बने, जिनकी पत्नी देश की प्रधानमत्री बनीं और उनका बेटा भी प्रधानमंत्री बना."

    "इसके अलावा उनके परिवार से जुड़ी हुई मेनका गाँधी केंद्रीय मंत्री हैं, वरुण गाँधी सांसद हैं और राहुल गाँधी कांग्रेस के उपाध्यक्ष हैं. इन सबने लोकतंत्र में इतनी बड़ी लोकप्रियता पाई. तानाशाही और बादशाहत में तो ऐसा होता है लेकिन लोकतंत्र में जहाँ जनता लोगों को चुनती हो, ऐसा बहुत कम होता है. जिस नेहरू गांधी डाएनेस्टी की बात की जाती है, उसमें फ़िरोज़ का बहुत बड़ा योगदान था, जिसका कोई ज़िक्र न #Gandhi और #Ghandy के उच्चारण में अंग्रेज़ अक्सर धोखा खा जाते थे अत: इस तरह Ghandy से फ़िरोज़ गाँधी हो गए. फ़िरोज़ गाँधी जी #आज़ादी के आन्दोलन के दौरान कई बार जेल भी गए और उस दौर में दो #राष्ट्रवादी अखबारों के सम्पादक भी थे.

    दरअसल ये सारा प्रपंच संघ परिवार के "चरित्र हनन विभाग" का फैलाया हुआ है जिस का काम महापुरुषों को कोसना और कैसे भी हर बात मुसलमान या इस्लाम पर ले जा कर छोड़ना है ताकि ध्रुविकरण किया जा सके.#इंदिरा और #फ़िरोज़ का विवाह भी हिन्दू और #पारसी के मिले जुले संस्कारों के तहत संपन्न हुआ था. फ़िरोज़ गाँधी को 1958 में पहला ह्रदयघात हुआ.. सन 1960 में दुसरे ह्रदयघात से उनकी मृत्यु हुई.
    आशा है आप इस पोस्ट को अधिक से अधिक #शेयर करेंगे और भविष्य में किसी संघी के मुँह पर जड़ने के लिए सहेजकर भी रखेंगे

    लेख का सोत्र के लिए wikipedia पर यहाँ क्लिक करे :

    लेख साभार Pramod Singh जी


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