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    काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की स्थापना

    मालवीय जी ने सन् 1916 ई. में 'काशी हिन्दू विश्वविद्यालय' की स्थापना की और कालांतरों में यह एशिया का
    सबसे बड़ा विश्वविद्यालय बन गया। वास्तव में यह एक ऐतिहासिक कार्य ही उनकी शिक्षा और साहित्य सेवा का अमिट शिलालेख है। पं0 मदन मोहन मालवीय जी के व्यक्तित्व पर आयरिश महिला डॉ. एनी बेसेंट का अभूतपूर्व प्रभाव पड़ा, जो हिन्दुस्तान में शिक्षा के प्रचार-प्रसार हेतु दृढ़प्रतिज्ञ रहीं। वे वाराणसी नगर के कमच्छा नामक स्थान पर 'सेण्ट्रल हिन्दू कॉलेज' की स्थापना सन् 1889 ई. में की, जो बाद में चलकर हिन्दू विश्वविद्यालय की स्थापना का केन्द्र बना। पंडित जी ने तत्कालीन बनारस के महाराज श्री प्रभुनारायण सिंह की सहायता से सन् 1904 ई. में 'बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय' की स्थापना का मन बनाया। सन् 1905 ई. में बनारस शहर के टाउन हाल मैदान की आमसभा में श्री डी. एन. महाजन की अध्यक्षता में एक प्रस्ताव पारित कराया। सन् 1911 ई. में डॉ. एनी बेसेंट की सहायता से एक प्रस्तावना को मंजूरी दिलाई जो 28 नवम्बर 1911 ई. में एक 'सोसाइटी' का स्वरूप लिया। इस 'सोसायटी' का उद्देश्य 'दि बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी' की स्थापना करना था। 25 मार्च 1915 ई. में सर हरकोर्ट बटलर ने इम्पिरीयल लेजिस्लेटिव एसेम्बली में एक बिल लाया, जो 1 अक्टूबर सन् 1915 ई. को 'ऐक्ट' के रूप में मंजूर कर लिया गया। 4 फरवरी, सन् 1916 ई. (माघ शुक्ल प्रतिपदा, संवत् 1972) को 'दि बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी' की नींव डाल दी गई। इस अवसर पर एक भव्य आयोजन हुआ। जिसमें देश व नगर के अधिकाधिक गणमान्य लोग, महाराजगण उपस्थित रहे।

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