Gandhi : बापू ने बनाया था रायबरेली को आंदोलनों का 'तीर्थ'
बापू ने बनाया था रायबरेली को आंदोलनों का 'तीर्थ'
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एक हाथ में बैग, दूसरे हाथ में कुछ जरूरी कागजात और साथ में लोगों का हुजूम । 25 अक्टूबर, 1925 में इस साधारण धोती और कुर्ता पहन कर आए नौजवान को देखने और सुनने के लिए कारवां जुट रहा था। दरअसल इलाहाबाद से प्रतापगढ़ होते हुए लखनऊ की ओर जा रहे इस नव युवा के जोश को देखकर रायबरेली की जनता ने रोका और खुद बढ़चढ़कर भागीदारी निभाने का संकल्प लिया। यह युवा कोई और नहीं महात्मा गांधी ही थे।
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एक हाथ में बैग, दूसरे हाथ में कुछ जरूरी कागजात और साथ में लोगों का हुजूम । 25 अक्टूबर, 1925 में इस साधारण धोती और कुर्ता पहन कर आए नौजवान को देखने और सुनने के लिए कारवां जुट रहा था। दरअसल इलाहाबाद से प्रतापगढ़ होते हुए लखनऊ की ओर जा रहे इस नव युवा के जोश को देखकर रायबरेली की जनता ने रोका और खुद बढ़चढ़कर भागीदारी निभाने का संकल्प लिया। यह युवा कोई और नहीं महात्मा गांधी ही थे।
सच्चाई
और अहिंसा के रास्ते पूरे देश में आजादी का बिगुल फूंकने वाले मोहन दास करम
चंद्र गांधी आज पूरे विश्व में याद किए जाते हैं। गांधी जी ने रायबरेली को
आंदोलनों के लिए चुना। गांधी जी ने अंग्रेजों से लड़ने के लिए हर आंदोलन को
रायबरेली से जोड़ा। नमक सत्याग्रह आंदोलन की शुरुआत ही रायबरेली से महात्मा
गांधी द्वारा कराई गई थी। गांधी जी के अहिंसात्मक आंदोलन में गति रायबरेली
से मिलने की बड़ी वजह रही कि यहां एक आवाज में आजादी के दीवाने अपने जज्बे
के साथ हर आंदोलन में कूद पड़ते थे। सन 1857 क्रांति की स्मृति में गांधी जी
दोबारा 14 नवंबर, 1929 को लालगंज आए थे । इस बार तो रायबरेली की जनता ने
गांधी जी को हाथों-हाथ लिया था। लालगंज में आयोजित विशाल जनसभा में 80 हजार
लोगों की सहभागिता रही । गांधी जी ग्रामीणों ने आर्थिक मजबूती प्रदान करते
हुए 1857 रुपए की थैली प्रदान की थी। इस जनसभा में बापू के साथ कस्तूरबा
गांधी भी आईं थीं। आजादी की लड़ाई में कोई आर्थिक कमी न होने पाए इसके लिए
कस्तूरबा को रायबरेली की महिलाओं ने अपने आभूषण दिए थे। गांधी जी यहां से
कालाकांकर होते हुए इलाहाबाद गए थे । रास्ते में सलोन के मोहनगंज में भी
रुक कर उन्होंने एक जनसभा को संबोधित किया था। बापू के रायबरेली प्रेम के
बदौलत ही नमक आंदोलन, स्वराज आंदोलन, झंडा सत्याग्रह समेत एक दर्जन शीर्ष
आंदोलन को रायबरेली से ही गति मिल पाई । बाद में इसी रायबरेली में आंदोलनों
का तीर्थ कहा जाने लगा था। कालांतर बाद जिले में गांधी जी स्मृति को
संजोने के लिए गांव- गांव , शहर - शहर गांधी चबूतरों का निर्माण कराया गया
था।
गांधी जी और रायबरेली
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नमक सत्याग्रह : गांधी जी ने नमक सत्याग्रह की शुरूआत की थी। नमक सत्याग्रह में पं नेहरू के साथ इंदिरा गांधी भी इस आंदोलन की सफलता के लिए रायबरेली की सड़कों में घूमी थीं।
झंडा सत्याग्रह : 1 मई 1923 को बापू ने झंडा सत्याग्रह की शुरूआत नागपुर से की थी लेकिन रायबरेली में आजादी की लड़़ाई में झंडा सत्याग्रह सबसे सफल रहा। झंडे के लिए सबसे पहली कुर्बानी रायबरेली में हुई ।
पूर्ण स्वराज आंदोलन : यह आंदोलन भी रायबरेली से शुरु किया। बापू के निर्देश पर पूरे देश में एक साथ लोग अंग्रेजों से बगावत कर सड़कों पर उतरे थे। रायबरेली में ही इसी पूर्ण स्वराज का असर रहा कि किसान गोली कांड जैसी बीभत्स घटनाएं हुईं।
गांधी जी और रायबरेली
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नमक सत्याग्रह : गांधी जी ने नमक सत्याग्रह की शुरूआत की थी। नमक सत्याग्रह में पं नेहरू के साथ इंदिरा गांधी भी इस आंदोलन की सफलता के लिए रायबरेली की सड़कों में घूमी थीं।
झंडा सत्याग्रह : 1 मई 1923 को बापू ने झंडा सत्याग्रह की शुरूआत नागपुर से की थी लेकिन रायबरेली में आजादी की लड़़ाई में झंडा सत्याग्रह सबसे सफल रहा। झंडे के लिए सबसे पहली कुर्बानी रायबरेली में हुई ।
पूर्ण स्वराज आंदोलन : यह आंदोलन भी रायबरेली से शुरु किया। बापू के निर्देश पर पूरे देश में एक साथ लोग अंग्रेजों से बगावत कर सड़कों पर उतरे थे। रायबरेली में ही इसी पूर्ण स्वराज का असर रहा कि किसान गोली कांड जैसी बीभत्स घटनाएं हुईं।