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    गौरवशाली इतिहास को मिटाने का दुष्चक्र!!

    इतिहास की प्राध्यापक जानकी नायर ने दक्षिणपंथी हिंदुत्व गिरोह द्वारा इतिहास की वैज्ञानिक समझ, इतिहास लेखन और इतिहासकारों पर किए जानेवाले हमले के संदर्भ में लिखा है. द हिंदू में प्रकाशित इस लेख का अनुवाद शुभनीत कौशिक ने किया है.


    "अकादमिक दुनिया को और ख़ासकर इतिहास विभागों को आज अप्रासंगिक हो जाने का खतरा सता रहा है। सड़कों, वेबसाइटों, समाचार-पत्र के लेखों, सामुदायिक बैठकों, राजनीतिक दलों और विधायिकाओं, एवं भ्रष्ट तथा विकृत दिमागों द्वारा इतिहास को रोज-ब-रोज दी जाने वाली चुनौती, इस विषय के लिए दुर्दिन बनती जा रही हैं। इतिहास के लिए इस आसन्न संकट में अब भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद भी शामिल हो गया है। आज न सिर्फ़ इतिहासकारों की जवाबदेही तय करने की कोशिश की जा रही है, बल्कि उन पर एक ‘सुनिश्चित, स्पष्ट और बगैर किसी विरोधाभास वाले’ इतिहास को लिखने का दबाव भी बनाया जा रहा है। जाहिर है कि ऐसा ‘इतिहास’ लिखना इतिहासकार की वर्तमान क्षमता से परे है।"

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