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    राहुल गांधी नानी से मिलने जाएंगे इटली, बीजेपी ने मारा ताना तो कांग्रेस ने किया पलटवार

    कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी विदेश यात्रा पर जा रहे हैं. मंगलवार को ट्वीट करके राहुल गांधी के दफ्तर ने यह जानकारी दी. उन्होंने कहा कि वह अपनी नानी से मिलने जा रहे हैं. राहुल गांधी की तरफ से ट्वीट किया गया कि मैं अपनी नानी और परिवार से मिलने जा रहा हूं, कुछ दिन बाहर रहूंगा, उम्मीद है हम साथ में अच्छा समय बिताएंगे. राहुल गांधी का ये ट्वीट आया तो चटपटी चर्चा चल पड़ी. बीजेपी महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने इशारों-इशारों में इसे राहुल का बचपना बता दिया. कांग्रेस भी भला पीछे कैसे रहती. कांग्रेस नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने फौरन याद दिलाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मां से भी मिलने जाते हैं तो कैमरा लेकर जाते हैं


    इस मामले में सोसल मिडिया पर काग्रेस की तरफ से लोगो ने जवाब देना शुरू कर दिया है

    Mohd Zahid लिखते है की

    राहुल गांधी अपनी नानी से मिलने क्या गये भक्तों को "नानी याद आ गयीं" ट्रोल करने लगे।

    राहुल गांधी की नानी लगभग 90 वर्ष की हैं और बिमार हैं जीवन के अंतिम पड़ाव पर हैं , अगर वह मिलने जाते हैं तो "पशु माँ" के नाम पर आँसू बहाने वाले लोग उनको ट्रोल करते हैं।

    देश का प्रधानमंत्री फेसबुक हेडक्वार्टर में बैठकर अपनी माँ को याद करके रोता है तब यह ममतत्व का उदाहरण होता है और कोई अपनी 90-92 वर्ष की वृद्ध बिमार नानी से मिलने जाता है तो यह उसकी गंभीर राजनीति पर प्रश्नचिन्ह बन जाता है।

    गज़ब का दोगलापन है इस देश में कि राजनीति करने वालों को अपने सभी संबंधों की तिलांजली देकर राजनीति करनी चाहिए , उसके ना तो संबंधों की कोई अहमियत है ना मानवीय मुल्यों की , वह बस सब संवेदनाओं को त्याग कर भारत की राजनीति में पिसता रहे।

    दरअसल राहुल गांधी की "पप्पू" छवि गढ़ने की कयावद में उनका विदेश जाना संधियों के लिए एक अवसर होता है।

    जिसका जहाँ संबंध होता है वह वहीं जाता है , बिलिवजह किसी के निजी जीवन और उसकी निजता पर ऐसी टीका टिप्पणी तब तक उचित नहीं है जब तक कि वह इसका राजनैतिक लाभ लेने का प्रयास ना करे।

    दरअसल सुचिता की बात करने वालों ने सुचिता की हर मर्यादा को ध्वस्त कर दिया है और राहुल गांधी का अपनी नानी से मिलने जाने पर ताजा विवाद भी इसी कारण है।



    Chanchal Bhu जी लिखते है

    नानी ?
    नानी , माँ की माँ होती है । हर वाजिब बच्चे का लगाव अपनी नानी , मामा या ननिहाल से होता है । यह भारतीय
    समाज का मनोविज्ञान है । एक गिरोहियों को छोड़ दिया जाय तो कौन सा मोहकमा है जिसके लोग नानी या ननिहाल से प्यार नही करते ? कोई और दल है जो परिवार का अलग का परिभाषा गढ़ता हो ? उनकी पहली ही शर्त परिवार के खिलाफ खड़ी होती है वो क्या जाने परिवार । उनकी घोषणा है शादी मत करो । तो परिवार कैसे बनेगा से, ज्यादा दिलचस्प है उस परिवार को देखिए जिसमे औरत ही नही है बाकी सब है । वो नानी पर बहस उठा रहे है ।

    नानी से मिलने जाना अपराध है क्या?

    नरपशु मानसिकता है क्योकि इंसान इतना संवेदनहींन नही हो सकता।

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