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    देश के अधिकांश लोग ये नहीं जानते कि 1967 में हमने भी चीन को हराया था।

    *यह है हमारी ताकत हमारी फ़ौज लेकिन कांग्रेस ने कभी भी इसकी बहादुरी का प्रयोग अपने चुनावी स्वार्थ के लिए नही किया यह फर्क है कांग्रेस में व अन्य दलों में

    चीन को उसकी औकात श्रीमती इंदिरा गांधी ने1967 में ही बता दी थी*-

    1967 में भारतीय सेना द्वारा चीन को दी गयी अभूतपूर्व जूतांजलि की यह घटना हमारी युवा पीढ़ी को जरूर बताएं। यह वो समय था जब सिक्किम भारत का राज्य नहीं था। पर सिक्किम भारत 😊द्वारा एक संरक्षित राजशाही था। श्रीमती इंदिरा गांधी ने बाद में 1975 में सिक्किम को भारत के पूर्ण राज्य के रूप में भारत में विलय कराया। फिलहाल 1967 की सेना की वीरता पढ़ते हैं।

    *इतिहास के दर्पण से*-
    देश के अधिकांश लोग ये नहीं जानते कि 1967 में हमने भी चीन को हराया था।

    चीन ने सिक्किम पर कब्ज़ा करने की कोशिश की थी।नाथू ला और चो ला फ्रंट पर ये युद्ध लड़ा गया था।चीन को ऐसा करारा जवाब मिला था कि चीनी भाग खड़े हुये थे।इस युद्ध में 88 भारतीय सैनिक बलिदान हुये थे और 400 चीनी सैनिक मारे गए थे।

    इस युद्ध में पूर्वी कमान को वही सेम मानेकशा संभाल रहे थे,जिन्होंने बाद में इंदिरा जी के नेतृत्व में बांग्लादेश बनवाया था।
    इस युद्ध के हीरो रहे थे राजपुताना रेजिमेंट के मेजर जोशी,कर्नल राय सिंह,मेजर हरभजन सिंह। उधर गोरखा रेजिमेंट के कृष्ण बहादुर,देवीप्रसाद और अन्य सैनिकों ने तो कमाल ही कर दिया था।जब गोलियां खत्म हो गयी थी,तो इन गुरखों ने कई चीनियों को अपनी खुकरी से ही काट डाला था ! कई गोलिया शरीर में लिए हुए मेजर जोशी ने चार चीनी ऑफिसर को मौत के घाट उतारा ! वैसे तो कई और हीरो भी है पर ये कुछ वो नाम है जिन्हें वीर चक्र मिला और इनकी वीरगाथा इतिहास बनी !!






    मैं किसी पोस्ट को शेयर करने के लिये नहीं कहता,पर इसे शेयर करो ताकि अधिक से अधिक लोग जाने,दुःख की बात है कि बहुत कम भारतीयों को इसके बारे में पता है !!






    आज फिर चीन सिक्कम पर गिद्धदृष्टि जमाये हुए है,इसी कारण उस ने मानसरोवर की पवित्र यात्रा में व्यवधान उत्पन्न किया है।हम चीनी सामान को जितना हो सके ना ही खरीदें और PAYTM जैसी चीनी कंपनियों का बहिष्कार करें। भारत-तिब्बत परिसंघ के साथ जुड़ कर तिब्बत की स्वतंत्रतता का समर्थन करे।
    जय हिन्द, जय हिन्द की सेना

    Anurag Ojha






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